11. और जब उनसे कहा जाता है कि “ज़मीन में फसाद (उपद्रव) मत फैलाओ”, तो वो कहते हैं, “हम तो बस सुधार करने वाले (islah karne wale) हैं।” [27]
आयत 11 (सूरह अल-बक़रह) — तफ़सीर और समझ
11. और जब उनसे कहा जाता है कि “ज़मीन में फसाद मत फैलाओ”, तो वो कहते हैं, “हम तो बस सुधार करने वाले हैं।” [27]
➡️ इस आयत में अल्लाह तआला मुनाफ़िक़ों (दिखावे वाले मुसलमानों) की चालाकी और धोखे को उजागर कर रहे हैं।
➡️ जब उन्हें समझाया जाता है कि “तुम जो कर रहे हो वो गलत है, ये ज़मीन में बिगाड़ फैलाना है”,
तो वो जवाब देते हैं: “नहीं नहीं, हम तो सुधार ला रहे हैं।”
➡️ ये लोग:
👉 लेकिन खुद को अच्छा और नेक कहलवाना चाहते हैं — ताकि लोग उन्हें reformer (islah karne wala) समझें।
➡️ ये वो लोग हैं जो सत्य और असत्य (हक़ और बातिल) दोनों को खुश रखने की कोशिश करते हैं।
➡️ मुसलमानों के सामने मुसलमान, और काफ़िरों के सामने उनके साथी बन जाते हैं।
👉 यही दोहरी पॉलिसी सबसे बड़ा फसाद (बिगाड़) है — क्योंकि इससे सच्चाई दबती है, और भलाई का चेहरा छुप जाता है।
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सूरह आयत 11 तफ़सीर