जो नज़्र (मन्नत)[5] पूरी करते हैं और उस दिन[6] से डरते हैं जिसकी आपदा चारों ओर फैली हुई होगी।
सूरह अल-इन्सान आयत 7 तफ़सीर
5. नज़्र (मनौती) का अर्थ है, अल्लाह के सामीप्य के लिए कोई कर्म अपने ऊपर अनिवार्य कर लेना। और किसी देवी-देवता तथा पीर-फ़क़ीर के लिए मनौती मानना शिर्क है। जिसको अल्लाह कभी भी क्षमा नहीं करेगा। अर्थात अल्लाह के लिए जो मनौतियाँ मानते रहे उसे पूरी करते रहे। 6. अर्थात प्रलय और ह़िसाब के दिन से।
सूरह अल-इन्सान आयत 7 तफ़सीर