(ऐ नबी!) आप उन लोगों से जो ईमान लाए कह दें कि वे उन लोगों को क्षमा कर दें[3], जो अल्लाह के दिनों[4] की आशा नहीं रखते, ताकि वह (उनमें से) कुछ लोगों को उसका बदला दे जो वे कमाते रहे थे।
सूरह अल-जासिया आयत 14 तफ़सीर
3. अर्थात उनकी ओर से जो दुःख पहुँचता है। 4. अल्लाह के दिनों से अभिप्राय वे दिन हैं जिनमें अल्लाह ने अपराधियों को यातनाएँ दी हैं। (देखिए : सूरत इबराहीम, आयत : 5)
सूरह अल-जासिया आयत 14 तफ़सीर