23. और अगर तुम्हें कोई शक हो उस चीज़ में जो हमने अपने (बंदे) पर उतारी [43],
तो एक ही सूरह ले आओ उस जैसी,
और अल्लाह के सिवा अपने सब मददगारों को बुला लो,
अगर तुम सच्चे हो [44]।
👉 अल्लाह इस आयत में क़ुरआन की हक़ीक़त पर सवाल उठाने वालों को चुनौती दे रहा है।
जो लोग समझते हैं कि यह इंसान का बनाया हुआ है,
उन्हें कहा जा रहा है —
अगर शक है तो एक सूरह बना कर दिखाओ उस जैसी।
👉 इंसान गैस, मशीन या चीज़ें तो बना सकता है —
मगर चींटी, जुगनू या इंसान की रूह नहीं बना सकता।
क़ुरआन भी अल्लाह की तख़्लीक़ है,
इंसान की तर्ज़ीह या कोशिश से उस जैसा कुछ नहीं बन सकता।
👉 अल्लाह कहता है: अगर तुम सच्चे हो तो अपने सारे मददगारों को बुला लो —
मगर अल्लाह के सिवा।
👉 यानी अपने बुतों, झूठे पैग़म्बरों, या झूठे धार्मिक रहनुमाओं को बुला लो —
अगर वे तुम्हारी मदद कर सकते हैं तो करके दिखाएं।
👉 यह चुनौती सिर्फ़ झूठे लोगों के लिए है,
सच्चे नबी और नेक लोग (जैसे हज़रत ईसा, मूसा, अब्दुल्लाह बिन सलाम वग़ैरह) —
इनसे मुराद नहीं है।
यह आयत क़ुरआन की इलाही हक़ीक़त और दीन के दुश्मनों के लिए खुली चुनौती है।
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सूरह आयत 23 तफ़सीर