कुरान - 7:101 सूरह अल-आराफ़ हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

تِلۡكَ ٱلۡقُرَىٰ نَقُصُّ عَلَيۡكَ مِنۡ أَنۢبَآئِهَاۚ وَلَقَدۡ جَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ فَمَا كَانُواْ لِيُؤۡمِنُواْ بِمَا كَذَّبُواْ مِن قَبۡلُۚ كَذَٰلِكَ يَطۡبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِ ٱلۡكَٰفِرِينَ

ये बस्तियाँ हैं, हम (ऐ नबी!) आपसे उनके कुछ वृत्तान्त सुना रहे हैं। निःसंदेह उनके पास उनके रसूल खुले प्रमाण लेकर आए, तो वे ऐसे न थे कि उस चीज़ पर ईमान ले आते, जिसे वे इससे पहले झुठला[38] चुके थे। इसी प्रकार अल्लाह काफ़िरों के दिलों पर मुहर लगा देता है।

सूरह अल-आराफ़ आयत 101 तफ़सीर


38. अर्थात् सत्य का प्रमाण आने से पहले झुठला दिया था, उसके पश्चात् भी अपनी हठधर्मी से उसी पर अड़े रहे।

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