कुरान - 3:199 सूरह आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَإِنَّ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَٰبِ لَمَن يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيۡكُمۡ وَمَآ أُنزِلَ إِلَيۡهِمۡ خَٰشِعِينَ لِلَّهِ لَا يَشۡتَرُونَ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ ثَمَنٗا قَلِيلًاۚ أُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمۡ أَجۡرُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡۗ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلۡحِسَابِ

और निःसंदेह किताब वालों (यहूदियों और ईसाइयों) में से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अल्लाह पर ईमान रखते हैं, तथा जो कुछ तुम्हारी ओर उतारा गया और जो स्वयं उनकी ओर उतारा गया है, उसपर भी ईमान रखते हैं। वे अल्लाह के सामने विनम्र रहने वाले हैं। और उसकी आयतों को थोड़ी क़ीमत पर बेचते नहीं हैं।[119] उनका बदला उनके रब के पास है। निःसंदेह अल्लाह जल्द ही हिसाब लेने वाला है।

सूरह आल-ए-इमरान आयत 199 तफ़सीर


119. अर्थात यह यहूदियों और ईसाइयों का दूसरा समुदाय है, जो अल्लाह पर और उसकी किताबों पर सह़ीह़ प्रकार से ईमान रखता था। और सत्य को स्वीकार करता था। तथा इस्लाम और रसूल तथा मुसलमानों के विरुद्ध साज़िशें नहीं करता था। और चंद टकों के कारण अल्लाह के आदेशों में हेर-फेर नहीं करता था।

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