कुरान - 3:75 सूरह आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

۞وَمِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَٰبِ مَنۡ إِن تَأۡمَنۡهُ بِقِنطَارٖ يُؤَدِّهِۦٓ إِلَيۡكَ وَمِنۡهُم مَّنۡ إِن تَأۡمَنۡهُ بِدِينَارٖ لَّا يُؤَدِّهِۦٓ إِلَيۡكَ إِلَّا مَا دُمۡتَ عَلَيۡهِ قَآئِمٗاۗ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمۡ قَالُواْ لَيۡسَ عَلَيۡنَا فِي ٱلۡأُمِّيِّـۧنَ سَبِيلٞ وَيَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلۡكَذِبَ وَهُمۡ يَعۡلَمُونَ

तथा किताब वालों में से कोई तो ऐसा है कि यदि तुम उसके पास ढेर सारा धन अमानत रख दो, तो वह तुम्हें उसे लौटा देगा तथा उनमें से कोई ऐसा है कि यदि तुम उसके पास एक दीनार[37] अमानत रखो, वह उसे तुम्हें अदा नहीं करेगा जब तक तुम उसके सिर पर खड़े न रहो। यह इसलिए कि उन्होंने कहा कि हमपर उन उम्मियों (अनपढ़ों) के बारे में (पकड़ का) कोई रास्ता[38] नहीं तथा वे अल्लाह पर झूठ बोलते हैं, हालाँकि वे जानते हैं।

सूरह आल-ए-इमरान आयत 75 तफ़सीर


37. दीनार सोने के सिक्के को कहा जाता है। 38. अर्थात उनके धन का उपभोग करने पर कोई पाप नहीं। क्योंकि यहूदियों ने अपने अतिरिक्त सब का धन ह़लाल समझ रखा था। और दूसरों को वह "उम्मी" कहा करते थे। अर्थात वे लोग जिनके पास कोई आसमानी किताब नहीं है।

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