कुरान - 3:81 सूरह आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَإِذۡ أَخَذَ ٱللَّهُ مِيثَٰقَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ لَمَآ ءَاتَيۡتُكُم مِّن كِتَٰبٖ وَحِكۡمَةٖ ثُمَّ جَآءَكُمۡ رَسُولٞ مُّصَدِّقٞ لِّمَا مَعَكُمۡ لَتُؤۡمِنُنَّ بِهِۦ وَلَتَنصُرُنَّهُۥۚ قَالَ ءَأَقۡرَرۡتُمۡ وَأَخَذۡتُمۡ عَلَىٰ ذَٰلِكُمۡ إِصۡرِيۖ قَالُوٓاْ أَقۡرَرۡنَاۚ قَالَ فَٱشۡهَدُواْ وَأَنَا۠ مَعَكُم مِّنَ ٱلشَّـٰهِدِينَ

तथा (याद करो) जब अल्लाह ने सब नबियों से दृढ़ वचन लिया कि मैं किताब और हिकमत में से जो कुछ तुम्हें दूँ, फिर तुम्हारे पास कोई रसूल आए जो उसकी पुष्टि करने वाला हो जो तुम्हारे पास है, तो तुम उसपर अवश्य ईमान लाओगे और अवश्य उसका समर्थन करोगे। (अल्लाह ने) कहा : क्या तुमने स्वीकार किया और उसपर मेरी प्रतिज्ञा क़बूल की? उन्होंने कहा : हमने स्वीकार कर लिया। (अल्लाह ने) कहा : तो तुम गवाह रहो और मैं भी तुम्हारे साथ गवाहों में से हूँ।[43]

सूरह आल-ए-इमरान आयत 81 तफ़सीर


43. भावार्थ यह है कि जब आगामी नबियों को ईमान लाना आवश्यक है, तो उनके अनुयायियों को भी ईमान लाना आवश्यक होगा। अतः अंतिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाना सभी के लिए अनिवार्य है।

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