कुरान - 3:79 सूरह आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

مَا كَانَ لِبَشَرٍ أَن يُؤۡتِيَهُ ٱللَّهُ ٱلۡكِتَٰبَ وَٱلۡحُكۡمَ وَٱلنُّبُوَّةَ ثُمَّ يَقُولَ لِلنَّاسِ كُونُواْ عِبَادٗا لِّي مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَٰكِن كُونُواْ رَبَّـٰنِيِّـۧنَ بِمَا كُنتُمۡ تُعَلِّمُونَ ٱلۡكِتَٰبَ وَبِمَا كُنتُمۡ تَدۡرُسُونَ

किसी मनुष्य का यह अधिकार नहीं कि अल्लाह उसे पुस्तक, निर्णय शक्ति और नुबुव्वत (पैग़ंबरी) प्रदान करे, फिर वह लोगों से कहे कि अल्लाह को छोड़कर मेरे बंदे बन जाओ[41], बल्कि (वह तो यही कहेगा कि) तुम रब वाले बनो, इसलिए कि तुम पुस्तक की शिक्षा दिया करते थे और इसलिए कि तुम पढ़ा करते थे।

सूरह आल-ए-इमरान आयत 79 तफ़सीर


41. भावार्थ यह है कि जब नबी के लिए योग्य नहीं कि लोगों से कहे कि मेरी इबादत करो, तो किसी अन्य के लिए कैसे योग्य हो सकता है?

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