कुरान - 98:3 सूरह अल-बय्यिना हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

فِيهَا كُتُبٞ قَيِّمَةٞ

जिनमें सच्ची ख़बरें और ठीक आदेश अंकित हैं।[1]

सूरह अल-बय्यिना आयत 3 तफ़सीर


1. (1-3) इस सूरत में सर्व प्रथम यह बताया गया है कि इस पुस्तक के साथ एक रसूल (ईशदूत) भेजना क्यों आवश्यक था। इसका कारण यह है कि मानव संसार के आदि शास्त्र धारी (यहूद तथा ईसाई) हों या मिश्रणवादी, अधर्म की ऐसी स्थिति में फँसे हुए थे कि एक नबी के बिना उनका इस स्थिति से निकलना संभव नहीं था। इसलिए इस चीज़ की आवश्यकता आई कि एक रसूल भेजा जाए, जो स्वयं अपनी रिसालत (दूतत्व) का ज्वलंत प्रमाण हो। और सबके सामने अल्लाह की किताब को उसके सह़ीह़ रूप में प्रस्तुत करे जो असत्य के मिश्रण से पवित्र हो जिससे आदि धर्म शास्त्रों को लिप्त कर दिया गया है।

अल-बय्यिना सभी आयतें

1
2
3
4
5
6
7
8

Sign up for Newsletter