जो लोग इस्लाम के क़ानूनों पर चलते हैं और नेक अमल करते हैं, वो सारी मख़्लूक़ात (फ़रिश्ते, जिन्न, आदि) से बढ़कर हैं। उनकी बुलंदी अल्लाह की मेहरबानी और जन्नत के इनामों की वजह से है:
उनकी शान की निशानियाँ
जन्नत: उनका हमेशा का घर
परहेज़गार मोमिनों के लिए अल्लाह ने जन्नत बनाई है, जहाँ वो अल्लाह का दीदार (रुयतुल्लाह) करेंगे—ये सबसे बड़ी नेमत है।
क़ुरआन कहता है:
جَزَاؤُهُمْ عِندَ رَبِّهِمْ جَنَّاتُ عَدْنٍ...
"उनका इनाम उनके रब के पास हमेशा रहने वाली जन्नतें हैं, जहाँ नहरें बहती हैं। अल्लाह उनसे राज़ी, और वे उससे राज़ी।" (सूरह अल-बय्यिना 98:8)
फ़रिश्तों की दुआएँ
अर्श (सिंहासन) उठाने वाले फ़रिश्ते और आसपास के फ़रिश्ते मोमिनों के लिए मग़फ़िरत की दुआ करते हैं।
कायनात का मातम
जब कोई नेक मोमिन मरता है, तो आसमान और ज़मीन रोते हैं—ये उसके अच्छे अमल का असर है।
नेकी की मिसालें
नींद कुर्बान करना: हज़रत अबू बक्र (रज़ि.) ने हिजरत के वक़्त पैग़म्बर (सल्ल.) की हिफ़ाज़त के लिए नींद कुर्बान की।
जंग में कुर्बानी: हज़रत अली (रज़ि.) ने ख़ैबर की जंग में ढाल कुर्बान कर दी जब कोई आगे नहीं बढ़ा।
कुफ़्र से इन्कार: अबू उमय्या ज़मरी ने ज़ुल्म के दौरान भी कुफ़्र बोलने से इन्कार कर दिया।
बुराई की मिसाल:
मुनाफ़िक़ (ढोंगी) जो दिखावे के लिए कलिमा पढ़ते थे या मस्जिद-ए-ज़िरार (फूट डालने वाली मस्जिद) बनाई।
मोमिन vs फ़रिश्ते:
आम मोमिन > आम फ़रिश्ते: इंसान की नेकी और नफ़्स की जंग (जिहाद-उन-नफ़्स) उसे फ़रिश्तों से ऊपर कर देती है।
ख़ास मोमिन (नबी, औलिया) > ख़ास फ़रिश्ते: ये अल्लाह के ख़लीफ़ा होने की वजह से अर्श के फ़रिश्तों से भी बुलंद हैं।
क़ुरआन कहता है:
وَلَقَدْ كَرَّمْنَا بَنِي آدَمَ
"हमने आदम की औलाद को इज़्ज़त दी।" (सूरह अल-इसरा 17:70)
अमल ही जन्नत की चाबी
फ़रिश्ते और जिन्न अल्लाह की इबादत करते हैं, मगर जन्नत सिर्फ़ नेक इंसानों के लिए है।
क़ुरआन कहता है:
لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ
"हर शख़्स वही पाएगा जो उसने कमाया।" (सूरह अल-बक़रह 2:286)
असली इज़्ज़त तक़्वा से
ग़रीब मगर परहेज़गार मोमिन, बादशाह से भी बुलंद है।
हदीस: "अल्लाह तुम्हारे रूप-रंग या दौलत नहीं, बल्कि दिल और अमल देखता है।" (सहीह मुस्लिम)
नेक मोमिन कायनात की सबसे बुलंद मख़्लूक़ हैं। उनका अल्लाह से क़रीबी का दर्जा फ़रिश्तों को भी रश्क दिलाता है। असली शान दौलत या नस्ल में नहीं, बल्कि तक़्वा (अल्लाह का डर) में है।
क़ुरआन की नसीहत:
إِنَّ أَكْرَمَكُمْ عِندَ اللَّـهِ أَتْقَاكُمْ
"अल्लाह के नज़दीक सबसे इज़्ज़त वाला वह है जो सबसे ज़्यादा परहेज़गार हो।"
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Surah Ayat 7 Tafsir