तुमसे पहले के लोगों ने भी इसी तरह के सवालात किए थे, फिर वे उन्हीं बातों के इंकारी हो गए [274]।
इस आयत में उन पहले के उम्मतों, खासकर बनी इसराईल, की तरफ इशारा है, जिन्होंने अपने नबियों से बार-बार ज़्यादा सवालात किए। इन सवालों के नतीजे में सख़्त अहकाम उन पर लागू कर दिए गए। जब वे खुद ही अपनी मांगों से दीन को मुश्किल बना बैठे, तो आखिरकार वे उन हुक्मों को मानने से मुकर गए।
यह आयत ईमान वालों को आगाह करती है कि बेवजह के सवालों से बचें, जो न सिर्फ मुश्किलात पैदा करते हैं, बल्कि कभी-कभी इंकार और गुमराही का रास्ता भी बन जाते हैं।
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सूरह अल-मायदा आयत 102 तफ़सीर