कुरान - 5:6 सूरह अल-मायदा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا قُمۡتُمۡ إِلَى ٱلصَّلَوٰةِ فَٱغۡسِلُواْ وُجُوهَكُمۡ وَأَيۡدِيَكُمۡ إِلَى ٱلۡمَرَافِقِ وَٱمۡسَحُواْ بِرُءُوسِكُمۡ وَأَرۡجُلَكُمۡ إِلَى ٱلۡكَعۡبَيۡنِۚ وَإِن كُنتُمۡ جُنُبٗا فَٱطَّهَّرُواْۚ وَإِن كُنتُم مَّرۡضَىٰٓ أَوۡ عَلَىٰ سَفَرٍ أَوۡ جَآءَ أَحَدٞ مِّنكُم مِّنَ ٱلۡغَآئِطِ أَوۡ لَٰمَسۡتُمُ ٱلنِّسَآءَ فَلَمۡ تَجِدُواْ مَآءٗ فَتَيَمَّمُواْ صَعِيدٗا طَيِّبٗا فَٱمۡسَحُواْ بِوُجُوهِكُمۡ وَأَيۡدِيكُم مِّنۡهُۚ مَا يُرِيدُ ٱللَّهُ لِيَجۡعَلَ عَلَيۡكُم مِّنۡ حَرَجٖ وَلَٰكِن يُرِيدُ لِيُطَهِّرَكُمۡ وَلِيُتِمَّ نِعۡمَتَهُۥ عَلَيۡكُمۡ لَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ

अनुवाद -

“ऐ ईमान वालों! जब तुम नमाज़ के लिए खड़े होने लगो [37], तो अपने चेहरे और हाथों को कुहनियों तक धो लो, और अपने सिरों का मसह करो, और पाँवों को टखनों तक धो लो [38]। और अगर तुम जनाबत (संभोग या स्वप्नदोष) की हालत में हो [39], तो पूरे बदन को अच्छी तरह पाक करो। और अगर तुम बीमार हो, या सफर में हो, या कोई शौच से आए [40], या औरतों को छू लिया हो, और तुम्हें पानी न मिले [41], तो पाक मिट्टी से तयम्मुम करो [42] — अपने चेहरे और हाथों पर मसह कर लो। अल्लाह तुम्हें मुश्किल में डालना नहीं चाहता, बल्कि चाहता है कि तुम्हें पाक बनाए और अपनी नेमत को तुम पर पूरा कर दे, ताकि तुम शुक्र अदा करो।”

सूरह अल-मायदा आयत 6 तफ़सीर


📖 सूरा अल-माइदा – आयत 6 की तफ़्सीर

 

(क़ुरआन का तर्जुमा: कन्ज़ुल ईमान)

✅ [37] “जब तुम नमाज़ के लिए खड़े हो” का मतलब

यहाँ "खड़े हो" से मुराद नमाज़ में खड़ा होना नहीं, बल्कि नमाज़ की तैयारी (यानि वुज़ू करना) है। इसीलिए आयत में कहा गया: "नमाज़ के लिए", न कि "नमाज़ में"

✅ [38] वुज़ू के फ़र्ज़ (ज़रूरी अंग धोने के आदेश)

  • वुज़ू के लिए नीयत (इरादा) सुन्‍नत है, फ़र्ज़ नहीं
  • चार चीज़ें वाजिब (फ़र्ज़) हैं:
    • चेहरा धोना
    • दोनों हाथ कुहनियों तक
    • सिर का मसह (गीले हाथ से पोंछना)
    • दोनों पाँव टखनों तक धोना
  • कुल्ली (मुँह में पानी डालना) और नाक में पानी डालना वुज़ू में सुन्‍नत हैं, फ़र्ज़ नहीं।
  • पाँवों पर सिर्फ मसह करना जायज़ नहीं, उन्हें धोना अनिवार्य है

✅ [39] जनाबत और ग़ुस्ल की अहमियत

  • "अच्छी तरह पाक करो" से मुराद है कि जनाबत की हालत में पूरा शरीर अच्छी तरह धोना ज़रूरी है (ग़ुस्ल)।
  • ग़ुस्ल में मुँह और नाक धोना फ़र्ज़ है, जब कि वुज़ू में ये फ़र्ज़ नहीं।
  • इस से पता चलता है कि ग़ुस्ल वुज़ू से ज़्यादा मुकम्मल (पूर्ण) होता है

✅ [40] वुज़ू/ग़ुस्ल को तोड़ने वाली स्थितियाँ

  • शौच से आना, औरत को छूना (नग्नता या शहवत के साथ) — ये सब वुज़ू को तोड़ देते हैं
  • संभोग या स्वप्नदोष होने पर ग़ुस्ल वाजिब हो जाता है
  • अगर इन हालात में पानी नहीं है, तो तयम्मुम करना वाजिब है।

✅ [41] तयम्मुम कब किया जा सकता है

तयम्मुम की अनुमति तब है जब:

  • पानी उपलब्ध न हो,
  • या पानी है मगर उसे इस्तेमाल करना बीमारी, डर या दुश्मन की वजह से मुश्किल हो,
  • या इससे जान/सेहत को नुकसान हो सकता है।

🔹 उदाहरण: हज़रत इमाम हुसैन (र.अ.) ने कर्बला में तयम्मुम से नमाज़ पढ़ी, क्योंकि फ़ुरात नदी पास होते हुए भी दुश्मन ने पानी तक पहुँचने नहीं दिया

✅ [42] तयम्मुम के लिए किन चीज़ों का इस्तेमाल हो सकता है

  • तयम्मुम के लिए ज़रूरी है कि वो चीज़:
    • पाक हो
    • ज़मीन से निकली हुई हो, जैसे:
      • मिट्टी
      • बालू
      • पहाड़ी नमक
      • कोयला (जो ज़मीन से निकला हो)
  • राख, प्लास्टर या पिघलने वाली चीज़ें तयम्मुम के लिए मुनासिब नहीं हैं।

 

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