"ऐ ईमान वालों! अल्लाह की राह में डटकर न्याय के साथ गवाही देने वाले बनो [46], और किसी क़ौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर न उकसाए कि तुम इंसाफ़ न करो। इंसाफ़ करो – यही परहेज़गारी से अधिक क़रीब है [47], और अल्लाह से डरो। बेशक अल्लाह तुम्हारे कामों से खूब वाक़िफ़ है।"
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सूरह अल-मायदा आयत 8 तफ़सीर