कुरान - 9:67 सूरह अत-तौबा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

ٱلۡمُنَٰفِقُونَ وَٱلۡمُنَٰفِقَٰتُ بَعۡضُهُم مِّنۢ بَعۡضٖۚ يَأۡمُرُونَ بِٱلۡمُنكَرِ وَيَنۡهَوۡنَ عَنِ ٱلۡمَعۡرُوفِ وَيَقۡبِضُونَ أَيۡدِيَهُمۡۚ نَسُواْ ٱللَّهَ فَنَسِيَهُمۡۚ إِنَّ ٱلۡمُنَٰفِقِينَ هُمُ ٱلۡفَٰسِقُونَ,

मुनाफ़िक़ पुरुष और मुनाफिक़ स्त्रियाँ, वे सब एक-जैसे हैं। वे बुराई का आदेश देते हैं तथा भलाई से रोकते हैं और अपने हाथ बंद रखते[31] हैं। वे अल्लाह को भूल गए, तो उसने उन्हें भुला[32] दिया। निश्चय मुनाफ़िक़ लोग ही अवज्ञाकारी हैं।

सूरह अत-तौबा आयत 67 तफ़सीर


31. अर्थात दान नहीं करते। 32. अल्लाह के भुला देने का अर्थ है उनपर दया न करना।

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