जो लोग अनाथों के माल को नाहक़ तरीक़े से खाते हैं [30], वे तो अपने पेट में आग भरते हैं [31], और जल्द ही धधकती आग में जलाए जाएँगे।
इससे यह सीख मिलती है कि अगर कोई अनाथ वारिस जनाज़े में मौजूद न हो, तो उसके हिस्से के माल से जनाज़े या फ़ातेहा पर ख़र्च करना हराम है। अनाथ का हिस्सा महफ़ूज़ होता है और उसे शरीअत के मुताबिक़ तक़सीम के बिना खर्च नहीं किया जा सकता।
सही तरीक़ा यह है कि पहले मीरास शरीअत के अनुसार बाँटी जाए, फिर जो बालिग़ वारिस चाहें, वे अपने हिस्से से जनाज़े पर खर्च करें।
⚠️ अगर ऐसा न किया गया, और वारिस अनाथ के माल से खाना खाएँ, तो यह दोज़ख़ की आग खाने के बराबर होगा। क़यामत के दिन उनके मुँह से धुआँ निकलेगा, जो इस गुनाह की अलामत होगा।
हदीस में आता है: जो कोई अनाथ का माल ज़ुल्म से खाता है, उसके मुँह, नाक और कान से धुआँ निकलेगा, यहाँ तक कि क़ब्र से भी।
यह होगी उन लोगों की पहचान, जिन्होंने नाजायज़ तरीक़े से अनाथों का माल खाया — और उनके लिए आख़िरत में ज़िल्लत और सज़ा की खुली चेतावनी होगी।
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सूरह अन-निसा आयत 10 तफ़सीर