वह (शैतान) उन्हें वायदे देता है और उनमें ख़्वाहिशें जगाता है, लेकिन शैतान उन्हें धोखे के सिवा कुछ नहीं वायदा करता [365]।
यह शैतान का धोखेबाज़ वादा है — कि कुफ़्र के ज़रिए मग़फ़िरत मिल सकती है, और बुरी रस्में भी निजात का ज़रिया बन सकती हैं। आज के दौर में बहुत से मुसलमान इसी फ़रेब का शिकार हो रहे हैं।
कई लोग यह समझते हैं कि भारी भरकम रस्में, फ़िज़ूलख़र्ची, शानदार महल बनाना, या सियासी और वज़ारती ओहदे पाना — ये सब इज़्ज़त और शान की निशानी हैं।
जबकि हक़ीक़ी इज़्ज़त और वक़ार, अल्लाह की फ़रमांबरदारी में है, न कि इस दुनिया की झूठी चमक-धमक में।
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सूरह अन-निसा आयत 120 तफ़सीर