कुरान - 4:33 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَلِكُلّٖ جَعَلۡنَا مَوَٰلِيَ مِمَّا تَرَكَ ٱلۡوَٰلِدَانِ وَٱلۡأَقۡرَبُونَۚ وَٱلَّذِينَ عَقَدَتۡ أَيۡمَٰنُكُمۡ فَـَٔاتُوهُمۡ نَصِيبَهُمۡۚ إِنَّ ٱللَّهَ كَانَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ شَهِيدًا

अनुवाद -

यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हें रोका गया है, तो हम तुम्हारे छोटे-छोटे गुनाह माफ़ कर देंगे और तुम्हें एक सम्मानित स्थान में दाख़िल करेंगे [121]

सूरह अन-निसा आयत 33 तफ़सीर


📖 सूरह अन-निसा – आयत 31 की तफ़्सीर

 

✅ [121] बड़े गुनाहों से बचना छोटे गुनाहों की माफ़ी का कारण बनता है

जो व्यक्ति बड़े गुनाहों से बचे रहते हैं, उनके छोटे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।
यह आयत अल्लाह की रहमत की दलील है — कि अगर कोई इंसान बड़े गुनाहों से बचे, तो अल्लाह उसकी छोटी गलतियों को बिना किसी विशेष तौबा के भी माफ़ कर सकता है।

बड़े गुनाहों में शामिल हैं:

  • शिर्क (अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना)
  • जुल्म और अत्याचार
  • क़त्ल
  • ज़िना (व्यभिचार)
  • चोरी

ये वो अमल हैं जो या तो दुनिया में सज़ा के पात्र हैं या आख़िरत में हमेशा के लिए अज़ाब का कारण बनते हैं, जैसा कि कुरआन की साफ़ आयतों में ज़िक्र है।

इसके अलावा:
अगर कोई छोटा गुनाह बार-बार किया जाए, तो वह भी बड़े गुनाह में बदल सकता है

जैसा कि अल्लाह ने फरमाया:
और वे जानबूझकर अपने गुनाहों पर डटे नहीं रहते। (सूरह आले इमरान: आयत 135)

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