कुरान - 4:40 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَظۡلِمُ مِثۡقَالَ ذَرَّةٖۖ وَإِن تَكُ حَسَنَةٗ يُضَٰعِفۡهَا وَيُؤۡتِ مِن لَّدُنۡهُ أَجۡرًا عَظِيمٗا

अनुवाद -

और (याद करो) वह दिन जब वह सबको इकट्ठा करेगा, फिर फरिश्तों से कहेगा: क्या ये लोग तुम्हारी इबादत करते थे? [120]

सूरह अन-निसा आयत 40 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 40 की तफ़्सीर

 

✅ [120] झूठी पूजा का पर्दाफाश

क़ियामत के दिन अल्लाह उन लोगों का शिर्क ज़ाहिर करेगा
जिन्होंने फरिश्तों, नबियों, वलियों या किसी भी मख़्लूक़ को इबादत या सिफ़ारिश के लायक़ समझा।
अल्लाह फरिश्तों से पूछेगा: "क्या ये लोग तुम्हारी इबादत करते थे?"
यह सवाल उन लोगों की ग़लती और गुमराही को उजागर करने के लिए होगा जिन्होंने अल्लाह के अलावा किसी और को पूजा का हक़दार समझा।

✅ अल्लाह का इंसाफ़ बिल्कुल मुकम्मल है

अल्लाह किसी पर ज़ुल्म नहीं करताज़र्रे भर भी नहीं।
हर नेक काम, चाहे जितना भी छोटा हो, लिखा जाता है और उसका इनाम दिया जाता है।

✅ अच्छे अमल को कई गुना बढ़ाकर इनाम दिया जाता है

एक नेकी को दो गुना या उससे भी ज़्यादा बढ़ा दिया जाता है।
और इसके बाद, अल्लाह अपने फ़ज़्ल से बड़ा इनाम देता है,
जो सिर्फ़ हिसाब-किताब पर नहीं बल्कि उसकी रहमत पर आधारित होता है।
यह आयत बताती है:
इंसाफ़ मुकम्मल होगा —
और जो भी नेक काम ईमानदारी से किया गया होगा, वह बेकार नहीं जाएगा।

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