तब उस समय उनका क्या हाल होगा जब हम हर उम्मत में से एक गवाह को लाएँगे, और (ऐ नबी) आपको इन सब पर गवाह बनाकर लाएँगे [154]?
क़ियामत के दिन, हर नबी अपनी-अपनी उम्मत के आमाल पर गवाह के रूप में पेश किया जाएगा — नेक लोग और गुनहगार, दोनों के बारे में। हज़रत मुहम्मद ﷺ की उम्मत भी पिछली उम्मतों के बारे में गवाही देगी, जो उन्हें कुरआन और हदीस के माध्यम से मालूम हुआ। लेकिन एक फ़र्क रहेगा: उम्मत की गवाही सुन-सुनाई बातों पर होगी, जबकि रसूलुल्लाह ﷺ की गवाही प्रत्यक्ष और आँखों देखी होगी।
इससे मालूम होता है: हज़रत मुहम्मद ﷺ को हर दौर — गुज़रा हुआ, वर्तमान और भविष्य — की उम्मत के आमाल को देखने की इलाही ताक़त दी गई है। इसीलिए जब वह गवाही देंगे, तो उनकी बात को कोई झुठला नहीं सकेगा। जबकि उम्मत की गवाही पर ग़ैर उम्मती कहेंगे: "इन्होंने वह वाक़ियात नहीं देखे, तो गवाही कैसे दे सकते हैं?" यह बात साबित करती है कि रसूलुल्लाह ﷺ का मुक़ाम सबसे आला है, और उनका पैग़ाम व नज़रिया हक़ और मुकम्मल है।3
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सूरह अन-निसा आयत 41 तफ़सीर