कुरान - 4:170 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ قَدۡ جَآءَكُمُ ٱلرَّسُولُ بِٱلۡحَقِّ مِن رَّبِّكُمۡ فَـَٔامِنُواْ خَيۡرٗا لَّكُمۡۚ وَإِن تَكۡفُرُواْ فَإِنَّ لِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلِيمًا حَكِيمٗا

अनुवाद -

ऐ लोगो! तुम्हारे पास रसूल तुम्हारे रब की तरफ़ से हक़ लेकर आ चुके हैं [479], तो ईमान लाओ, यही तुम्हारे लिए बेहतर है।[480] और अगर तुम कुफ़्र करोगे तो (समझ लो) अल्लाह ही का है जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, हिकमत वाला है।

सूरह अन-निसा आयत 170 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 170 की तफ़्सीर

 

✅ [479] रसूल ﷺ – हक़ की चलती-फिरती मिसाल

इस आयत में बताया गया कि मुहम्मद ﷺ की पूरी ज़ात हक़ का मज़हर है:

  • उनकी हर बात, हर अमल, हर फ़ैसला सच्चाई और पाकीज़गी से भरा हुआ है
  • जैसे आम के पेड़ से अंगूर नहीं उग सकते, वैसे ही रसूल ﷺ से कभी झूठ, गुनाह या नाफ़रमानी नहीं हो सकती

📌 यह आयत रसूल ﷺ के हर पहलू में सचाई और पवित्रता की गवाही देती है।

✅ [480] यह मिशन कोई साधारण बुलावा नहीं

हमारी इस दुनिया में मौजूदगी एक नतीजा हो सकती है,
लेकिन रसूल ﷺ को भेजना अल्लाह का सीधा और मक़सदपूर्ण फ़ैसला था

  • जैसे एक आम यात्री और प्रधानमंत्री के दौरे में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है,
    वैसे ही रसूल ﷺ की आमद एक मुबारक, नियोजित और ख़ास भेजा गया मिशन था

📌 इसलिए अल्लाह फ़रमा रहा है — ‘तो ईमान लाओ, यह तुम्हारे ही लिए बेहतर है।’

और अगर कोई इंकार करे तो अल्लाह को किसी के ईमान की ज़रूरत नहीं
आसमानों और ज़मीन की हर चीज़ का मालिक वही है,
और उसे हर चीज़ का इल्म है, और हर हुक्म में हिकमत है।

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