जहाँ कहीं भी तुम हो, मौत तुम्हें आ पकड़ेगी, चाहे तुम मज़बूत क़िलों [251] में ही क्यों न हो। अगर उन्हें कोई भलाई पहुँचती है तो कहते हैं कि यह अल्लाह की तरफ़ से है, और अगर कोई मुसीबत पहुँचती है तो कहते हैं कि यह तेरी वजह से [252] है। कह दीजिए कि सब कुछ अल्लाह की तरफ़ से है। फिर इन लोगों को क्या हो गया है कि कोई बात समझते ही नहीं [253]।
यह आयत याद दिलाती है कि मौत से बचना असंभव है, चाहे इंसान मज़बूत और सुरक्षित क़िलों में छिपा हो। इसलिए अल्लाह की राह में शहीद होना बिस्तर पर लंबी बीमारी से मरने से बेहतर है। हदीस के अनुसार, शहीद की मौत का दर्द चींटी के डंक जैसा हल्का होता है, जो अल्लाह की राह में मरने वालों का सम्मान और आसानी बताता है।
मुनाफ़िक़ कहते थे कि हुज़ूर ﷺ के मदीना आने के बाद मुसीबतें बढ़ गई हैं — अल्लाह माफ़ करे — और नुक़सान का कारण आपको ठहराते थे। हक़ीक़त यह है कि आपके आने के बाद:
इससे मालूम हुआ कि:
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सूरह अन-निसा आयत 78 तफ़सीर