कुरान - 4:76 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ يُقَٰتِلُونَ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِۖ وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُقَٰتِلُونَ فِي سَبِيلِ ٱلطَّـٰغُوتِ فَقَٰتِلُوٓاْ أَوۡلِيَآءَ ٱلشَّيۡطَٰنِۖ إِنَّ كَيۡدَ ٱلشَّيۡطَٰنِ كَانَ ضَعِيفًا

अनुवाद -

ईमान वाले लोग अल्लाह की राह में लड़ते हैं, और कुफ़्र करने वाले ताग़ूत की राह में लड़ते हैं। तो तुम शैतान के दोस्तों से लड़ो, बेशक शैतान की चाल बहुत कमज़ोर है [244]

सूरह अन-निसा आयत 76 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 76 की तफ़्सीर

 

✅ [244] ईमान वालों और काफ़िरों के जंग का मक़सद

इस आयत में ईमान वालों और कुफ़्र करने वालों के जंग करने के उद्देश्य में स्पष्ट फ़र्क़ बताया गया है।
काफ़िर लड़ते हैं: शैतान (ताग़ूत) को राज़ी करने, कुफ़्र फैलाने और दुनियावी हुकूमत व कब्ज़े के लिए।
मोमिन लड़ते हैं: हक़ को क़ायम रखने, मज़लूमों की मदद करने और सिर्फ़ अल्लाह की ख़ुश्नूदी के लिए।
आयत के अंत में यह हकीकत बयान हुई है कि शैतान की चाल बहुत कमज़ोर है, चाहे बाहर से वह कितनी ही ताक़तवर क्यों न लगे, ईमान और अल्लाह की रहनुमाई के सामने वह हमेशा नाकाम होगा।

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