जो लोग ईमान लाए और नेक अमल किए, उन्हें वह उनका पूरा इनाम देगा और अपने फ़ज़ल से और ज़्यादा भी अता फरमाएगा [489]। लेकिन जिन्होंने घमंड किया और इंकार किया, उन्हें वह सख़्त सज़ा देगा। और उन्हें अल्लाह के सिवा न कोई मददगार मिलेगा और न कोई हिमायती [490]।
इससे हमें मालूम होता है कि सच्चे मोमिन को सिर्फ़ उसके अमल का पूरा इनाम ही नहीं मिलेगा, बल्कि अल्लाह अपने करम से और भी ज़्यादा अता फरमाएगा।
इन विशेष इनामों में शामिल हैं:
– जन्नत में अल्लाह का दीदार
– अमल से कहीं बढ़कर इनाम
– हमेशा की इज़्ज़त और क़ुबूलियत
यह सब कुछ सिर्फ़ अमल की बुनियाद पर नहीं, बल्कि अल्लाह की बेहिसाब रहमत और करम से अता किया जाएगा।
इस हिस्से में साफ़ किया गया है कि जो लोग तकब्बुर और इंकार में डूबे रहे, उनके लिए सख़्त सज़ा तय है।
ऐसे लोग अख़िरत में बिल्कुल तन्हा और बेसहारा होंगे — न कोई मददगार मिलेगा, न कोई सिफ़ारिश करने वाला।
इसके उलट, अल्लाह ने मोमिनों से मदद और रहमत का वादा किया है।
इनकार करने वालों की यह बेबसी खुद एक शर्मनाक सज़ा है, जो उनकी आख़िरी ज़िल्लत को ज़ाहिर करती है।
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सूरह अन-निसा आयत 173 तफ़सीर