कुरान - 4:38 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَٱلَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمۡوَٰلَهُمۡ رِئَآءَ ٱلنَّاسِ وَلَا يُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَلَا بِٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِۗ وَمَن يَكُنِ ٱلشَّيۡطَٰنُ لَهُۥ قَرِينٗا فَسَآءَ قَرِينٗا

अनुवाद -

यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हें रोका गया है, तो हम तुम्हारे छोटे गुनाहों को क्षमा कर देंगे और तुम्हें एक आदरणीय स्थान में प्रवेश देंगे [121]

सूरह अन-निसा आयत 38 तफ़सीर


📖 सूरह अन-निसा – आयत 31 की तफ़्सीर

 

✅ [121] बड़े गुनाहों से बचने पर छोटे गुनाह माफ़

बड़े गुनाहों से बचना, छोटे गुनाहों की माफी का कारण बनता है। यह अल्लाह की रहमत को दर्शाता है कि यदि कोई व्यक्ति बड़े गुनाहों से बचता है, तो अल्लाह छोटे गुनाहों को स्वतः क्षमा कर देते हैं, भले ही उन्होंने हर छोटे गुनाह पर तौबा न की हो।

बड़े गुनाह वे हैं जो:

  • शिर्क (अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराना)
  • ज़ुल्म और अत्याचार
  • क़त्ल
  • ज़िना (व्यभिचार)
  • चोरी
    और वे गुनाह जिन पर:
  • दुनिया में कानूनी सज़ा तय है, या
  • आख़िरत में स्थायी सज़ा निर्धारित की गई है

ध्यान दें:
कोई छोटा गुनाह, यदि उसे लगातार किया जाए, तो वह भी बड़ा गुनाह बन जाता है।

क़ुरआन में है:
जो लोग जानबूझकर अपने किए पर डटे नहीं रहते [Surah Aal-e-Imran: Ayat 135]

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