कुरान - 4:128 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَإِنِ ٱمۡرَأَةٌ خَافَتۡ مِنۢ بَعۡلِهَا نُشُوزًا أَوۡ إِعۡرَاضٗا فَلَا جُنَاحَ عَلَيۡهِمَآ أَن يُصۡلِحَا بَيۡنَهُمَا صُلۡحٗاۚ وَٱلصُّلۡحُ خَيۡرٞۗ وَأُحۡضِرَتِ ٱلۡأَنفُسُ ٱلشُّحَّۚ وَإِن تُحۡسِنُواْ وَتَتَّقُواْ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرٗا

अनुवाद -

सूरह अन-निसा आयत 128 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 128 की तफ़्सीर

और अगर किसी औरत को अपने शौहर से ज़्यादती या बेरुख़ी का डर हो [384], तो उनमें आपसी सुलह हो जाए तो इसमें कोई गुनाह नहीं है [385], और सुलह तो बेहतर ही है [386]। लेकिन दिलों में लालच बसा हुआ है [387], और अगर तुम भलाई करो और अल्लाह से डरते रहो, तो बेशक अल्लाह तुम्हारे कामों से खूब वाक़िफ़ है [388]।

✅ [384] ज़ुल्म या नफ़रत की शक्लें

अगर किसी औरत को अपने शौहर की तरफ़ से नाफ़रमानी, बेरुख़ी या ज़ुल्म का अंदेशा हो — जैसे कि खाने-पीने में कमी करना, मारना-पीटना, बुरा बर्ताव, या प्यार और तवज्जो से महरूम करना — तो यह उसकी परेशानी का सबब बनता है और सुलह की ज़रूरत को पैदा करता है।

✅ [385] सुलह की इजाज़त और तरीक़ा

अगर बीवी अपनी ख़ुशी से कुछ हुकूक़ माफ़ कर दे, ताक़ि निकाह क़ायम रहे, या शौहर उसकी कमज़ोरियों को नजरअंदाज़ कर दे और इंसाफ़ व सब्र से काम ले — तो ऐसी आपसी सुलह जायज़ है। इसमें कोई गुनाह नहीं, बल्कि दोनों सुकून से ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं

✅ [386] सुलह तलाक़ से बेहतर है

हालाँकि तलाक़ जायज़ है, लेकिन यह अल्लाह को सबसे ज़्यादा नापसंद हलाल अमल है। इसलिए आपसी समझौता, चाहे उसमें थोड़ा समझौता करना पड़े, तलाक़ से कहीं बेहतर है। इस्लाम निकाह को बचाने को तरजीह देता है

✅ [387] इंसानी फितरत में लालच

इस आयत में बताया गया कि लालच इंसान की फ़ितरत में है। हर कोई अपने आराम को अहमियत देता है और दूसरों के लिए कुर्बानी देने में कोताही करता है — यहाँ तक कि शादी जैसे रिश्ते में भी। इस हकीकत को समझकर ही अक़्लमंदी और इख़लास से रिश्तों को निभाया जा सकता है

✅ [388] नेक अमल और तक़वा की ताक़ीद

अल्लाह शौहर को याद दिलाता है कि अगर उसके दिल में बीवी के लिए मोहब्बत कम हो भी गई हो, फिर भी:

  • उसके साथ अच्छा बर्ताव करे
  • अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाए
  • और यह याद रखे कि बीवी अल्लाह की तरफ़ से अमानत है
    अगर शौहर तक़वा और भलाई से पेश आता है, तो अल्लाह उसके हर नेक अमल को जानता है और उसे उसका इनाम ज़रूर देगा।

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