कुरान - 4:13 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

تِلۡكَ حُدُودُ ٱللَّهِۚ وَمَن يُطِعِ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ يُدۡخِلۡهُ جَنَّـٰتٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ وَذَٰلِكَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ

अनुवाद -

ये अल्लाह की हदें हैं, और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा [55], उसे ऐसे बाग़ों में दाख़िल किया जाएगा जिनके नीचे नहरें बहती होंगी। वे उसमें हमेशा रहेंगे। और यही सबसे बड़ी कामयाबी है [56]।

सूरह अन-निसा आयत 13 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 13 की तफ़्सीर

 

✅ [55] विरासत में अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की इताअत

इससे यह स्पष्ट होता है कि वसीयत और विरासत के मामलों में हदीस भी क़ुरआन की आयतों के बराबर हुक्म रखती है। कुछ विरासती हुक्म क़ुरआन में मौजूद हैं और बाक़ी की तफ़्सीलात हज़रत मुहम्मद ﷺ ने बयान फ़रमाई हैं। इस आयत में अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की इताअत करने वालों को जन्नत की ख़ुशख़बरी दी गई है — इसलिए हदीस में दी गई तशरीह को भी मानना ज़रूरी है

हदीस की रौशनी में कुछ विरासती मसाइल:

  • अगर मरने वाले की कोई संतान (बेटा या बेटी) न हो, तो पोती, परपोती वग़ैरह को बेटी की तरह हिस्सा मिलेगा।
  • अगर एक बेटी हो, तो पोती को छठवाँ हिस्सा मिलेगा।
  • अगर बेटा हो, तो पोती को हिस्सा नहीं मिलेगा।
  • अगर दो बेटियाँ हों, तो पोती को भी हिस्सा नहीं मिलेगा।
  • अगर एक पोता हो, तो पोता और पोती दोनों 'असबह' (बचे हुए माल के वारिस) होंगे।

इन तमाम हुक्मों को समझने के लिए इल्मुल मीरास (विरासत का इल्मी इल्म) का मुताला करना चाहिए, जो मुख़्तसर मगर मुकम्मल है।

✅ [56] इंसाफ़ से तक़सीम पर अल्लाह की रहमत

यह बात भी मालूम होती है कि विरासत की तक़सीम में ज़ुल्म करना अल्लाह की अज़ाब को दावत देता है, जबकि इंसाफ़ और अदल अल्लाह की रहमत और जन्नत का ज़रिया बनता है। मुसलमानों को इससे सबक़ लेना चाहिए: जो लोग अपनी बेटियों या दूसरे हक़दारों को विरासत से महरूम करते हैं, वे अल्लाह की तय की हुई हदों की खिलाफ़वर्ज़ी कर रहे हैं, और इस अमल की इस्लाम में सख़्त मज़म्मत की गई है।

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