कुरान - 4:156 सूरह अन-निसा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

وَبِكُفۡرِهِمۡ وَقَوۡلِهِمۡ عَلَىٰ مَرۡيَمَ بُهۡتَٰنًا عَظِيمٗا

अनुवाद -

और हमने उन पर लानत की उनके कुफ़्र की वजह से, और इस वजह से कि उन्होंने मरयम (अलैहिस्सलाम) पर बहुत बड़ा बहुतान बाँधा [451].

सूरह अन-निसा आयत 156 तफ़सीर


📖 सूरा अन-निसा – आयत 156 की तफ़्सीर

 

✅ [451] मरयम (अलैहिस्सलाम) पर लगाए गए इल्ज़ाम

यहाँ “बहुतान” से मुराद है — वह झूठा इल्ज़ाम जो यहूदियों ने सैय्यदा मरयम अलैहिस्सलाम पर लगाया,
जिससे उन्होंने उनकी पाक़दिली और इफ़्फ़त को दाग़दार करने की कोशिश की।

यह एक बहुत बड़ा गुनाह था,
जिसकी वजह से अल्लाह की लानत उन पर उतरी।

इससे यह सख़्त चेतावनी मिलती है कि:
पाक़ दामन और रूहानी तौर पर बुलंद मर्तबा रखने वाली औरतों पर इल्ज़ाम लगाना बहुत संगीन जुर्म है

सैय्यदा मरयम अलैहिस्सलाम इस्लाम में बहुत ही मुक़द्दस और आला मुक़ाम रखती हैं,
और उन पर इल्ज़ाम लगाना, अल्लाह के ग़ज़ब को बुलाने वाला अमल है।

✅ उम्मत के लिए सबक – पाक औरतों पर इल्ज़ाम का अंजाम

यह आयत बिला वसीला उन लोगों की भी निंदा करती है
जो उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीक़ा (रज़ि.) पर इल्ज़ाम लगाते हैं

जैसे मरयम अलैहिस्सलाम की पाकीज़गी की गवाही हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने दी थी,
वैसे ही हज़रत आयशा रज़ि. की बेगुनाही की तस्दीक़ खुद अल्लाह ने क़ुरआन की 18 आयतों में की

इसलिए जो लोग हज़रत आयशा पर ताना देते हैं,
वो उसी दर्जे के जुर्म का इर्तिकाब करते हैं
जैसे यहूदियों ने मरयम अलैहिस्सलाम के साथ किया था

और चूँकि हज़रत आयशा की सफाई अल्लाह ने क़ुरआन में उतारी है,
इसलिए उन पर इल्ज़ाम लगाना और भी ज़्यादा संगीन और सज़ा के लायक गुनाह है।

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