"वो एक उम्मत थी जो गुज़र चुकी; उनके लिए वो है जो उन्होंने कमाया [284], और तुम्हारे लिए वो है जो तुमने कमाया, और तुमसे उनके आमाल के बारे में नहीं पूछा जाएगा।"
📌 मतलब:
गुज़रे हुए नेक लोग तुम्हारे लिए फ़ायदे का ज़रिया तब बनेंगे जब तुम उनके रास्ते पर चलोगे — सिर्फ़ नाम लेने से कुछ नहीं होगा।
📌 इस्लाम का उसूल है:
ज़िम्मेदारी फर्द (individual) की है।
📌 हर इंसान अपनी अख़लाक़ी और दीनदारी की जवाबदेही खुद देगा —
ना किसी की नेकी से तुम्हारा काम चलेगा,
ना किसी के गुनाह से तुम पर इल्ज़ाम आएगा।
1. विरासत नहीं, अमल मायने रखता है:
पिछली उम्मतों की नेकी से तब तक फ़ायदा नहीं, जब तक इंसान खुद सही राह पर ना चले।
2. हक़ बात ये है:
हर इंसान अपने आमाल का खुद मालिक है,
और आख़िरत में जवाबदेही भी उसी की होगी।
3. किसी को गुमराह करने की सज़ा:
अगर कोई किसी को गुमराही की तरफ़ ले जाए,
तो उसका गुनाह भी उस पर लिखा जाएगा।
4. नेक लोगों के नाम पर दावा करना काफी नहीं:
कहना कि "हम फलां रसूल के मानने वाले हैं" — जब तक उनके तरीके पर ना चलो, ये दावा बेकार है।
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सूरह अल-बक़रा आयत 141 तफ़सीर