कुरान - 2:141 सूरह अल-बक़रा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

تِلۡكَ أُمَّةٞ قَدۡ خَلَتۡۖ لَهَا مَا كَسَبَتۡ وَلَكُم مَّا كَسَبۡتُمۡۖ وَلَا تُسۡـَٔلُونَ عَمَّا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

अनुवाद -

"वो एक उम्मत थी जो गुज़र चुकी; उनके लिए वो है जो उन्होंने कमाया [284], और तुम्हारे लिए वो है जो तुमने कमाया, और तुमसे उनके आमाल के बारे में नहीं पूछा जाएगा।"

सूरह अल-बक़रा आयत 141 तफ़सीर


[284] "वो एक उम्मत थी जो गुज़र चुकी; उनके लिए वो है जो उन्होंने कमाया..."

  • यहाँ अल्लाह तआला साफ़ फ़रमा रहे हैं कि जो पहले के लोग थे — जैसे हज़रत इब्राहीम, इस्माईल, इत्यादि — वो अपना काम कर चुके, और अब वो अपने आमाल के हिसाब में हैं।
  • तुम उनका नाम लेकर फख़्र (घमंड) नहीं कर सकते, जब तक उनके रास्ते पर न चलो।

📌 मतलब:
गुज़रे हुए नेक लोग तुम्हारे लिए फ़ायदे का ज़रिया तब बनेंगे जब तुम उनके रास्ते पर चलोगे — सिर्फ़ नाम लेने से कुछ नहीं होगा।

"...और तुम्हारे लिए वो है जो तुमने कमाया..."

  • हर इंसान को उसका वही मिलेगा जो उसने खुद कमा कर किया — चाहे अच्छा हो या बुरा।
  • नस्ल, खानदान, या पुरखों के आमाल से किसी को जन्नत नहीं मिलेगी।

📌 इस्लाम का उसूल है:
ज़िम्मेदारी फर्द (individual) की है।

"...और तुमसे उनके आमाल के बारे में नहीं पूछा जाएगा।"

  • इसका साफ़ मतलब है:
    तुम ना तो उनके आमाल के ज़िम्मेदार हो,
    और ना उनके आमाल तुम्हारे लिए जवाबदेही का बोझ हैं।

📌 हर इंसान अपनी अख़लाक़ी और दीनदारी की जवाबदेही खुद देगा —
ना किसी की नेकी से तुम्हारा काम चलेगा,
ना किसी के गुनाह से तुम पर इल्ज़ाम आएगा।

🌟 इस आयत से मिलने वाले अहम सबक़:

1. विरासत नहीं, अमल मायने रखता है:
पिछली उम्मतों की नेकी से तब तक फ़ायदा नहीं, जब तक इंसान खुद सही राह पर ना चले।

2. हक़ बात ये है:
हर इंसान अपने आमाल का खुद मालिक है,
और आख़िरत में जवाबदेही भी उसी की होगी।

3. किसी को गुमराह करने की सज़ा:
अगर कोई किसी को गुमराही की तरफ़ ले जाए,
तो उसका गुनाह भी उस पर लिखा जाएगा।

4. नेक लोगों के नाम पर दावा करना काफी नहीं:
कहना कि "हम फलां रसूल के मानने वाले हैं" — जब तक उनके तरीके पर ना चलो, ये दावा बेकार है।

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