कुरान - 2:5 सूरह अल-बक़रा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

أُوْلَـٰٓئِكَ عَلَىٰ هُدٗى مِّن رَّبِّهِمۡۖ وَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ

अनुवाद -

5. यही लोग हैं जो अपने रब की तरफ़ से हिदायत पर हैं [18], और वही हैं जो कामयाब होंगे। [18]

 

सूरह अल-बक़रा आयत 5 तफ़सीर


[18] सच्ची हिदायत और असली कामयाबी

➡️ "अपने रब की तरफ़ से हिदायत पर हैं"
यह बात उन लोगों के बारे में कही जा रही है जो पिछले आयतों में बताए गए:

  • जो ग़ैब (अदृश्य चीज़ों) पर ईमान रखते हैं,
  • नमाज़ क़ायम करते हैं,
  • अल्लाह की राह में खर्च करते हैं,
  • कुरआन और पहले की किताबों पर ईमान रखते हैं,
  • और आख़िरत पर यक़ीन रखते हैं।

ऐसे लोग अल्लाह की तरफ़ से दी गई हिदायत (सीधा रास्ता) पर हैं। ये हिदायत कोई आम समझ या ज़ाहिरी ज्ञान नहीं, बल्कि अल्लाह का तोहफ़ा (इनाम) है।

👉 इंसान अगर खुद से भी सही राह तलाश करे, तब भी असली और स्थायी (permanent) हिदायत सिर्फ़ अल्लाह की मेहरबानी से मिलती है।

अगर अल्लाह किसी को सीधी राह पर चला दे, तो वही इंसान गुमराही से बचा रहता है। वरना सिर्फ़ ज़ाहिरी जानकारी या थोड़े वक्त की समझ से कोई भी इंसान भटक सकता है।

➡️ "और वही लोग हैं जो कामयाब होंगे"
यहां बताया गया कि कामयाबी क्या है?

आज की दुनिया में हम अक्सर समझते हैं कि:

  • दौलत मिल गई,
  • इज़्ज़त मिल गई,
  • पद और शोहरत मिल गई —
    तो इंसान कामयाब है।

लेकिन कुरआन का मयार (scale) अलग है।

👉 सच्ची कामयाबी ये है कि:

  • इंसान अल्लाह की हिदायत पा जाए,
  • नेक काम करे,
  • और आख़िरत में जन्नत हासिल करे।

कुरआन की दूसरी आयत (सूरह अल-आ'ला 87:14) में अल्लाह फ़रमाते हैं:
"बेशक वो कामयाब हुआ जिसने अपने आप को पाक (शुद्ध) किया।"
यानी जिसने अपने दिल और अमल को साफ़ किया, और गुनाहों से बचा

नतीजा:
इस आयत से हमें तीन अहम बातें सीखने को मिलती हैं:

  1. हिदायत कोई आम चीज़ नहीं — ये अल्लाह का खास इनाम है।
  2. जो लोग नेक रास्ते पर हैं, वही सच्चे मायनों में कामयाब हैं।
  3. दुनियावी चीज़ें (जैसे पैसा या शोहरत) असली सफलता नहीं — बल्कि आख़िरत की फतह (जीत) ही सच्ची कामयाबी है।

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