कुरान - 2:3 सूरह अल-बक़रा अनुवाद, लिप्यंतरण और तफसीर (तफ्सीर).

ٱلَّذِينَ يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡغَيۡبِ وَيُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَمِمَّا رَزَقۡنَٰهُمۡ يُنفِقُونَ

अनुवाद -

3. जो लोग ग़ैब पर ईमान लाते हैं [13], और नमाज़ क़ायम करते हैं [14], और हमारे रास्ते में उसमें से ख़र्च करते हैं जो हमने उन्हें दिया है [15]।

सूरह अल-बक़रा आयत 3 तफ़सीर


आयत 3 (सूरह अल-बक़रह) — तफ़सीर और समझ

"जो लोग ग़ैब पर ईमान लाते हैं [13], और नमाज़ क़ायम करते हैं [14], और हमारे रास्ते में उसमें से ख़र्च करते हैं जो हमने उन्हें दिया है [15]।"

✅ [13] जो ग़ैब पर ईमान लाते हैं

इस आयत में उन लोगों की तारीफ़ की गई है जो बिना देखे विश्वास करते हैं।
वे अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, क़यामत के दिन, जन्नत, जहन्नम, और उन तमाम बातों पर यक़ीन रखते हैं जो इंसानी समझ और आंखों से परे हैं।
वे केवल कुरआन की सच्चाई और पैग़ंबर ﷺ की बातें सुनकर दिल से यक़ीन करते हैं।
उनका यह विश्वास किसी दिखावे या भौतिक प्रमाण पर नहीं, बल्कि रूहानी यक़ीन पर आधारित होता है।

✅ [14] और नमाज़ क़ायम करते हैं

नमाज़ क़ायम करने का मतलब केवल नमाज़ अदा कर लेना नहीं है,
बल्कि इसका अर्थ है — नियमित रूप से, समय पर, और ख़ुशू व ख़ुज़ू (विनम्रता व एकाग्रता) के साथ पाँचों वक्त की नमाज़ पढ़ना।
नमाज़ उनके जीवन की रूहानी बुनियाद बन जाती है,
जो उन्हें अल्लाह से जोड़ती है, उनकी आत्मा को शुद्ध करती है,
और उनके अंदर तक़वा (अल्लाह का डर व आत्म-नियंत्रण) पैदा करती है।

✅ [15] और जो कुछ हमने उन्हें दिया, उसमें से हमारे रास्ते में ख़र्च करते हैं

यह उन लोगों की बात है जो यह मानते हैं कि उनका माल, दौलत और रोज़ी — सब कुछ अल्लाह की नेअमत है।
वे अपने धन को केवल अपने लिए नहीं रखते, बल्कि उसका हिस्सा अल्लाह के रास्ते में ख़र्च करते हैं
वे दिल से ज़कात, सदक़ा, और अन्य नेक कार्यों में हिस्सा लेते हैं।
यह ख़र्च करना उनकी शुक्रگزاری, ईमानदारी, और अल्लाह पर भरोसे की निशानी है।
वे समझते हैं कि यह माल सिर्फ उनका नहीं, बल्कि एक अमानत है — जिसे नेक रास्तों में खर्च करना ही उसका असल इस्तेमाल है।

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