235. "और तुम पर कोई गुनाह नहीं है यदि तुम ऐसी महिलाओं से विवाह का इशारा कर दो या इसे अपने दिलों में छिपा लो। अल्लाह जानता है कि तुम जल्द ही उन्हें याद करोगे। लेकिन तुम उनके साथ कोई गुप्त समझौता [576] न करो, सिवाय इसके कि तुम एक मान्य और स्वीकृत तरीके से कानून के अनुसार बात करो। और तुम विवाह के संकल्प पर न पहुँचो [577] जब तक कि निर्धारित समय समाप्त न हो जाए। और जान लो कि अल्लाह को वह सब कुछ पता है जो तुम्हारे दिलों में है [578], तो तुम उससे डर [579]। और जान लो कि अल्लाह अत्यंत क्षमा करने वाला, अत्यंत सहनशील है।"
व्याख्या:
यह आयत यह बताती है कि यदि कोई व्यक्ति विधवा महिला से विवाह का इशारा करता है या इसे अपने दिल में छिपा लेता है, तो वह कोई गुनाह नहीं है। लेकिन यदि वह व्यक्ति एक गुप्त समझौता करता है, तो यह बिल्कुल मना है। इसका मतलब है कि विवाह के बारे में केवल कानूनी और स्वीकृत तरीके से विचार किया जा सकता है, न कि गुप्त वादे या छिपे अनुबंध से।
व्याख्या:
इस आयत में यह बताया गया है कि जब तक इद्दत (पति के निधन के बाद विधवा का प्रतीक्षा काल) पूरा नहीं हो जाता, तब तक विवाह का कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसका मतलब यह है कि विवाह का संकल्प और निकाह की कोई औपचारिक प्रक्रिया इस समय के दौरान मना है। यह एक पवित्र और शुद्धिकरण का समय है, और महिला को मानसिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए इस समय की आवश्यकता होती है।
व्याख्या:
यह वाक्य यह बताता है कि अल्लाह हमारे दिलों में छिपी हुई नियत और इच्छाओं को जानता है। हम जो कुछ भी सोचते हैं या चाहते हैं, वह अल्लाह के सामने बिल्कुल स्पष्ट है। इसलिए, हमें अपनी नियत और विचारों को शुद्ध और ईमानदारी से रखना चाहिए। यह चेतावनी है कि हमारी सोच और इरादे ईमानदारी से सही होने चाहिए, क्योंकि अल्लाह उन सबको देखता है।
व्याख्या:
आयत के अंत में यह कहा गया है कि हमें अल्लाह से डरना चाहिए, क्योंकि वह हमारे हर इरादे और कार्य को देखता है। हमें अपनी नियत और कर्मों में संयम रखना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि अल्लाह क्षमा करने वाला और सहनशील है, लेकिन हमे ईमानदारी और सत्य के साथ हर काम करना चाहिए। अल्लाह हमारे हर इरादे को देखता और समझता है, इसलिए हमें अपने अंदर सचाई और नैतिकता बनाए रखनी चाहिए।
समाप्ति:
यह आयत हमें इद्दत के दौरान विधवा महिलाओं के साथ सम्मान और सही तरीके से पेश आने की शिक्षा देती है। साथ ही, यह याद दिलाती है कि अल्लाह हमारे दिलों के हर राज और विचारों को जानता है, और हमें हमेशा ईमानदारी, सच्चाई, और संयम के साथ काम करना चाहिए, क्योंकि अल्लाह सब कुछ देखता और जानता है।
For a faster and smoother experience,
install our mobile app now.
सूरह अल-बक़रा आयत 235 तफ़सीर